Tuesday, April 27, 2021

कुंडली मिलान में कब निरस्त हो जाता है नाड़ी दोष, जानिए 3 नियम

कुंडली मिलान में कब निरस्त हो जाता है नाड़ी दोष, जानिए 3 नियम

हिंदू धर्म में विवाह से पहले अष्टकूट यानी गुण मिलान का खासा महत्व है। इसमें वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी के आधार पर वर-वधू के गुणों का मिलान किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा अहम नाड़ी है। इसकी अहमियत इस बात से पता चलती है कि ज्यादा गुण मिलने के बावजूद अगर नाड़ी दोष है तो विवाह वर्जित बताया जाता है। हालांकि अगर संभावित वर और वधू की कुंडली में तीन शर्तों में से एक भी पूरी हो रही हो तो नाड़ी दोष निरस्त हो जाता है। कुंडली में चंद्रमा की नक्षत्र में स्थिति के आधार पर नाड़ी का पता चलता है। कुल नक्षत्र 27 होते हैं, इस प्रकार हर नाड़ी के 9-9 नक्षत्र होते हैं। 

वैदिक ज्योतिष में नाड़ी 3 प्रकार की होती हैं- आदि, मध्य और अन्त्य नाड़ी

आदि या आद्य नाड़ी- ज्येष्ठा, मूल, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तरा फाल्गुनी,हस्त, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद और अश्विनी नक्षत्र की गणना इस नाड़ी में की जाती है।

मध्य नाड़ी- पुष्य, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, भरणी, घनिष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र की गणना मध्य नाड़ी में होती है।

अन्त्य नाड़ी- स्वाति, विशाखा, कृतिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, उत्तारषाढ़ा, श्रवण और रेवती नक्षत्रों की गणना अन्त्य नाड़ी में की जाती है।

कैसे लगता है नाड़ी दोष
जब संभावित वर और वधू के जन्म नक्षत्र एक ही नाड़ी में आते हैं, तब यह दोष लगता है। इस दोष के चलते गुण मिलान में 8 गुणों की हानि होती है। इस दोष के लगने से विवाह को वर्जित बताया जाता है। इस दोष के बावजूद विवाह होने पर विवाह में अलगाव, मृत्यु और दुखमय जीवन की आशंकाएं होती हैं।
किन स्थितियों में निरस्त हो जाता है नाड़ी दोष

यदि संभावित वर और वधू का जन्म नक्षत्र समान हो, लेकिन दोनों के चरण अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है।

यदि दोनों की राशि समान हो, लेकिन जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है।

यदि दोनों के जन्म नक्षत्र समान हों, लेकिन राशि अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता  ।

Call & Whatsapp Details :9990302395,9015848532

Friday, April 16, 2021

पाप कहाँ-कहाँ तक जाता है?

 *पाप कहाँ-कहाँ तक जाता है?*

एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगाजी में पाप धोने जाते हैं तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगाजी में समा गए और गंगाजी भी पापी हो गईं!
अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है?
तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए।

ऋषि ने पूछा - भगवन, जो पाप गंगाजी में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है?

भगवन ने कहा - चलो, गंगाजी से ही पूछते हैं।

दोनों लोग गंगाजी के पास गए और उनसे कहा - हे गंगे! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुईं!

गंगाजी ने कहा - मैं क्यों पापी हुई? मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ।

अब वे लोग समुद्र के पास गए और उनसे बोले - हे सागर! गंगाजी जो पाप आपको अर्पित कर देती हैं तो इसका मतलब आप भी पापी हुए!

समुद्र ने कहा - मैं क्यों पापी हुआ? मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बनाकर बादल बना देता हूँ।

अब वे लोग बादल के पास गए, और उनसे बोले - हे बादलों! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते हैं तो इसका मतलब आप पापी हुए!

बादलों ने कहा - हम क्यों पापी हुए? हम तो सारे पापों को पानी के रूप में बरसाकर वापस धरती पर भेज देते हैं, जिससे अन्न उपजता है, जिसको मानव खाता है। उस अन्न में जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है और जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है, जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है, उसी अनुसार मानव की मानसिकता बनती है।

✒ शायद इसीलिये कहते हैं - *जैसा खाए अन्न, वैसा बनता मन*
अन्न को जिस वृत्ति (कमाई) से प्राप्त किया जाता है और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है वैसे ही विचार मानव के बन जाते हैं। इसीलिये सदैव भोजन शांत अवस्था में पूर्ण रुचि के साथ करना चाहिए और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए वह धन भी श्रम का होना चाहिए। 🌺🌹🌺
जय श्री सीता राम
Jyothish Acharya Vipin Tiwari 
Call & Whatsapp 9990302395,9015848532

Thursday, April 15, 2021

जानिए मां दुर्गा के दिव्यास्त्र किस बात का हैं प्रतीक

*जानिए मां दुर्गा के दिव्यास्त्र किस बात का हैं प्रतीक*

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी की संरचना तमाम देवीदेवताओं की संचित शक्ति के द्वारा हुई है. जिस तरह तमाम नदियों के संचित जल से समुद्र बनता है, उसी तरह भगवती दुर्गा विभिन्न देवी देवताओं के शक्ति समर्थन से महान बनी हैं. देवताओं ने मां दुर्गा को दिव्यास्त्र प्रदान किये.
इस आद्याशक्ति को शिव ने त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, वरुण ने शंख, अग्नि ने शक्ति, वायु ने धनुष बाण, इन्द्र ने वज्र और यमराज ने गदा देकर अजेय बनाया. दूसरे देवताओं ने मां दुर्गा को उपहार स्वरूप हार चूड़ामणि, कुंडल, कंगन, नुपूर, कण्ठहार आदि तमाम आभूषण दिए. हिमालय ने विभिन्न रत्न और वाहन के रूप में सिंह भेंट किया.

1.शंख
दुर्गा मां के हाथ में शंख प्रणव का या रहस्यवादी शब्द ‘ओम’ का प्रतीक है जो स्वयं भगवान को उनके हाथों में ध्वनि के रूप में होने का संकेत करता है.
2.धनुषबाण
धनुष बाण ऊर्जा का प्रतिनिधित्त्व करते हैं दुर्गा मां के एक ही हाथ में इन दोनों का होना इस बात का संकेत है कि मां ने ऊर्जा के सभी पहलुओं एवं गतिज क्षमता पर नियंत्रण प्राप्त किया हुआ है.
3.बिजली और वज्र
ये दोनों दृढ़ता के प्रतीक हैं. और दुर्गा मां के भक्तों को भी वज्र की भांति दृढ़ होना चाहिए जैसे बिजली और वज्र जिस भी वस्तु को छुती है उसे ही नष्ट एवं ध्वस्त कर देती है अपने को बिना क्षति पहुंचाए. इसी तरह माता के भक्तों को भी अपने पर विश्वास करके किसी भी कठिन से कठिन कार्य पर खुद को क्षति पहुंचाए बिना करना चाहिए
4.कमल के फूल
माता के हाथ में जो कमल का फूल है वह पूर्ण रूप से खिला हुआ नहीं है इससे तात्पर्य है कि कमल सफलता का प्रतीक तो है परन्तु सफलता निश्चित नहीं है. कमल का एक पर्यायवाची पंकज भी है अर्थात् संसार में कीचड़ के बीच भक्तों की आध्यात्मिक गुणवत्ता के सतत् विकास के लिए खड़ा है कमल.
5.सुदर्शन चक्र
सुदर्शन चक्र जो दुर्गा मां की तर्जनी के चारों ओर घूम रहा है. बिना उनकी अंगुली को छुए हुए यह प्रतीक है इस बात का कि पूरा संसार मां दुर्गा की इच्छा के अधीन है और उन्हीं के आदेश पर चल रहा है. माता इस तरह के अमोघ अस्त्रशस्त्र इसलिए प्रयोग करती हैं ताकि दुनिया से अधर्म, बुराई और दुष्टों का नाश हो सके और सभी समान रूप से खुशहाली से जी सकें.
6.तलवार
तलवार जो दुर्गा मां ने अपने हाथों में पकड़ी हुई है वह ज्ञान की प्रतीक है वह ज्ञान जो तलवार की धार की तरह तेज एवं पूर्ण हो. वह ज्ञान जो सभी शंकाओं से मुक्त हो तलवार की चमक का प्रतीक माना जाता है.
7. त्रिशूल
मां दुर्गा का त्रिशूल अपने आप में तीन गुण समाए हुए हैं. यह सत्व, रजस एवं तमस गुणों का प्रतीक है. और वह अपने त्रिशुल से तीनों दुखों का निवारण करती हैं चाहे वह शारीरिक हो, चाहे मानसिक हो या फिर चाहे आध्यात्मिक हो.
8.सिंह सवारी
मां दुर्गा शेर पर एक निडर मुद्रा में बैठी हैं जिसे अभयमुद्रा कहा जाता है जो संकेत है डर से स्वतंत्रता का, जगत की मां दुर्गा अपने सभी भक्तों को बस इतना ही कहती हैं, अपने सभी अच्छे बुरे कार्यों एवं कर्तव्यों  को मुझ पर छोड़ दो और मुक्त हो जाओ अपने डर से अपने भय से.

Jyothish Acharya Vipin Tiwari 

जिंदगी दुल्हन है एक रात की!! astrologer Vipin Tiwari

जिंदगी दुल्हन है एक रात की  कोई नही है मंजिल जिसके अहिवात की  #मांग भरी शाम को बहारो ने ,  सेज सजी रात चांद तारो ने  भोर हुई मेहंदी छुटी हाथ...