जिंदगी दुल्हन है एक रात की
कोई नही है मंजिल जिसके अहिवात की
#मांग भरी शाम को बहारो ने ,
सेज सजी रात चांद तारो ने
भोर हुई मेहंदी छुटी हाथ की
जिन्दगि दुल्हन है एक रात की
नईहर है दूर पता पिया का ना गांव
कही ना पड़ाव कोई कही नहीं छांव
जाए किधर डोली बारात की
जिंदगी दुल्हन है एक रात की
बिना तेल बाती जले उम्र का दीया
बीच धार छोड़ गया निर्दयी पिया
आंख बनी बदली बरसात की
जिन्दगि दुल्हन है एक रात की
हम हमेशा भूले रहते हैं की हम नश्वर हैं ,
हम ह्रदय से नही मन की गणनाओं से जीते हैं
इसलिए हमने अपना जीवन यान्त्रिक बना लिया है
पर
ये शरीर एक विषय मात्र है जो की बीमारियों , क्षय और म्रत्यु तक ही सीमित है और संभवतः हमेशा सुख नही दे सकता
शरीर केवल अनुभव करने का एक यँत्र है ना की आपकी true identity
परंतु हमे इसका सम्मान करना चाहिए और इसकी देखभाल भी
क्यो की ये ही अनुभव और ज्ञान अर्जित करने में सहायक है
पर हम ego के भृम में पड़कर हम आत्मा के शरीर रूपी यँत्र को समय से पहले ही क्षय करते रहते हैं
हमारे लिए आत्मा से ज्यादा priority सामाजिक दिखावे और माया की हो जाती है l
पूजा पाठ भी हम माया के मोह में आकर करते हैं
जिसमे (तंत्र विद्यया )को सबसे बेहतर shortcut माना जाता है
लेकिन जब हम उग्र देवी या देवता को भी selfish intention यानी निजी लालच के चलते पूजते है तो उनसे हमे कुछ प्राप्त नही होता l
इन दिव्य शक्तियों को हम manupulate नही कर सकते l
समर्पण ही एक मात्र रास्ता है
ज्योतिष के अनुसार
जन्म कुंडली मे आत्माकारक ग्रह
और इसकी placement दर्शाती है कि श्री नारायण हमारे लिए क्या चाहते हैं
आत्मा की बची हुई Desires जिसकी वजह से श्री विष्णु ने आपको फिर से जन्म दिया , जिन्हें पूरा करके वापस आप श्री में वापस लौट जाएं l
मोक्ष की आस में लोग धर्म करते है , भले ही वो अधर्म के धन से किया गया हो
और मरने के बाद ईश्वरलोक में जाने की कामना करते है
आपकी कुंडली के ग्रहो की स्थिति लग्न और वर्ग कुंडलियों के अनुसार बता रही होती है की आप किस लोक के भागी हैं
बृहस्पति- देवलोक
चंद्र व शुक्र- पितृलोक
सूर्य व मंगल - भू लोक
शनि व बुध - नरक लोक ( यानी जानवर या कीट योनि में जीवन मिलेगा)
अक्सर लोगो के सवाल होते हैं की हम परेशान हैं , हमारा मन मुताबिक काम नही हो रहा
कुंडली मे देखिये क्या चल रहा है?
और कुंडली मे देखने पर कुछ खास पकड़ नही आता
तो मालूम है इसका अर्थ क्या है?
इसका अर्थ है की प्रष्न करने वाला (क्रियामान ) कर्मो के बुरे असर से गुजर रहा है l
आत्मा के पुनर्जन्म और आपके साथ बीत रही बुरी घटनाओं के बीच का खेल पुराना है
इसे चौंसर समझकर मत खेलिए , क्यो की यहाँ एक बार हारे तो हर बार हारना पड़ेगा l
1 comment:
Super 👍
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